धर्म-जात या मानवता ?
धर्म-जात या मानवता ?
ये
न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |
जाति
धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||
मरने
वालों के जात-धर्म पर, होती है घंटो चर्चा
रेप
हुए महिलाओं का, धर्म भी बनता है मुद्दा |
मानवता
खंडित हुई, धर्मों के जहरीले तलवार से
धर्म
भारी पड़ रहा, अनमोल इंसानी जानों पे |
किस
धर्म के पन्नो में, सिखाया गया है नफरत
और
लहू बहा कर, कैसे मिल सकती है जन्नत?
ये
न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |
जाति
धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||
क्या
वास्तव में दर्शाता है ये, हमारे मज़हब के प्रति प्यार
या
हमारे संकुचित मानसिकता का, है ये विकृत आकार |
जात
धर्म की अभद्र परिभाषा में, कब तक उलझे रहेंगे हम
भव्य
भारत की संस्कृति का, कब तक उपहास करेंगे हम |
दुनिया
कर आई चाँद और मंगल तक का सफर,
हम
मगर उलझ कर रह गए जात-धर्म में बँधकर |
इस
तरह कभी सोचा, क्या सीखेंगे आनेवाली पीढ़ियाँ
रहकर
उस देश में, जहाँ हो धर्म-जात के हज़ारों बेड़ियाँ |
ये
न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |
जाति
धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||
सिहर
उठता है मन मेरा, यूँ होता देख बँटवारे दिलों में
और
छल्ली होती है आत्मा देख, असंवेदनशीलता लोगों में |
जब
तर्क-व्याख्या दिये जाते हैं, आपसी रंजिशों के पक्ष में
भगवान्
भी सोचता होगा, बैर इतनी, जन्मी कहाँ से सृष्टि में |
भारत
की संस्कृति, जात-धर्म में ही बस सीमित रह गयी
सस्वार्थी
समाज के सोच की कीमत, देश चूका रही |
अभी
भी समय है, द्वेष मिटा कर एक जुट हो जाएं हम
मातृभूमि
में मानवता को, एक बार फिर प्यार से सींचे हम |
ये
न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |
जाति
धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||
सही कहा मेडम। अपने देश, मानवता एवं इन्सानियत के लिए हम सब को अपनी सोच को वक्त के साथ बदलने की जरूरत है।
ReplyDeleteThank you !
DeleteExcellent.Maii to gad gad ho uthha
ReplyDeleteThanks baba !
DeleteHi Sudeepta! Thrilled to go through your thoughts, feel happy to see this channel of your mind, keep placing your thoughts on paper.
ReplyDeleteThanks !
DeleteThanks
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