धर्म-जात या मानवता ?
   धर्म - जात  या  मानवता  ?        ये न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |   जाति धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||     मरने वालों के जात-धर्म पर, होती है घंटो चर्चा   रेप हुए महिलाओं का, धर्म भी बनता है मुद्दा |   मानवता खंडित हुई, धर्मों के जहरीले तलवार से   धर्म भारी पड़ रहा, अनमोल इंसानी जानों पे |   किस धर्म के पन्नो में, सिखाया गया है नफरत   और लहू बहा कर, कैसे मिल सकती है जन्नत?     ये न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |   जाति धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||     क्या वास्तव में दर्शाता है ये, हमारे मज़हब के प्रति प्यार   या हमारे संकुचित मानसिकता का, है ये विकृत आकार |   जात धर्म की अभद्र परिभाषा में, कब तक उलझे रहेंगे हम   भव्य भारत की संस्कृति का, कब तक उपहास करेंगे हम |   दुनिया कर आई चाँद और मंगल तक का सफर,   हम मगर उलझ कर रह गए जात-धर्म में बँधकर |   इस तरह कभी सोचा, क्या सीखेंगे आनेवाली पीढ़ियाँ   रहकर उस देश में, जहाँ हो धर्म-जात के हज़ारों बेड़ियाँ |     ये न पूछो मुझसे, मेरे मन में क्या चल रहा है |   जाति धर्म की लड़ाई से, मेरा सीना जल रहा है ||  ...